Causes of back pain: Learn the main reasons and solutions in hindi
आज की व्यस्त जीवनशैली में कमर दर्द एक सामान्य समस्या न गई है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। इसके कई कारण होते हैं, जो हमारी आदतों और जीवनशैली से जुड़े हैं।
गलत बैठने की आदतें(Bad sitting habits)
लंबे समय तक झुककर बैठने से रीढ़ पर दबाव बढ़ता है। ऑफिस में कंप्यूटर के सामने बैठने वालों को यह समस्या ज्यादा होती है। कुर्सी और बैठने का तरीका कमर दर्द का बड़ा कारण बन सकता है।
भारी वजन उठाना(lifting heavy weights)
अचानक ज्यादा वजन उठाने से मांसपेशियों में खिंचाव आता है। गलत तरीके से वजन उठाने पर रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। यह कमर दर्द की स्थिति को और गंभीर बना सकता है।
व्यायाम की कमी(lack of exercise)
शारीरिक गतिविधियों की कमी से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से शरीर अकड़ जाता है। यह कमजोरी धीरे-धीरे कमर दर्द का कारण बनती है।
गलत सोने की आदतें(Bad sleeping habits)
कठोर या बहुत नरम गद्दे पर सोना पीठ के लिए हानिकारक है। गलत पोजीशन में सोने से रीढ़ की हड्डी असंतुलित हो जाती है। इसका सीधा असर कमर पर पड़ता है।
चोट या दुर्घटना(injury or accident)
गिरने या किसी दुर्घटना की वजह से रीढ़ की हड्डी प्रभावित हो सकती है। चोट लगने के बाद दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है। यह समस्या अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है।
मोटापा और गलत खानपान(Obesity and wrong eating habits)
अधिक वजन से कमर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। फास्ट फूड और तैलीय भोजन से मांसपेशियां कमजोर होती हैं। मोटापा धीरे-धीरे कमर दर्द को जन्म देता है।
लंबे समय तक खड़े रहना(standing for long periods of time)
लगातार खड़े रहने से रीढ़ और कमर की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है। यह आदत धीरे-धीरे दर्द को स्थायी बना सकती है।
तनाव और मानसिक दबाव(stress and mental pressure)
मानसिक तनाव भी शरीर को प्रभावित करता है। तनाव से मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। यह भी कमर दर्द का अप्रत्यक्ष कारण बन सकता है।
गंभीर रोग(serious illness)
स्लिप डिस्क, गठिया या स्पॉन्डिलाइटिस जैसी बीमारियां भी कमर दर्द का कारण होती हैं। समय पर इलाज न करने पर समस्या बढ़ सकती है।
कमर दर्द से बचाव के उपाय(Ways to prevent back pain)
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सही मुद्रा में बैठें और उठें।
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वजन उठाते समय घुटनों को मोड़ें।
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रोजाना हल्का व्यायाम करें।
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संतुलित और पौष्टिक भोजन लें।
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तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें।
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डॉक्टर की सलाह पर उचित जांच और इलाज कराएं।
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